
आलू की खासियत है कि वो हर सब्जी के साथ एडजस्ट हो जाता है। खाने में तो आलू स्वाद होता ही है, लेकिन इसके कई औषधीय और सौंदर्य से जुड़े गुण भी हैं।
आलू पौष्टिक तत्वों से भरा होता है। आलू में सबसे ज्यादा मात्रा में स्टॉर्च पाया जाता है। आलू क्षारीय होता है, जिसे खाने से शरीर में क्षारों की मात्रा बरकरार रहती है। आलू में सोडा, पोटाश, और विटामिन ए और डी पर्याप्त मात्रा में होता है।
आलू को हमेशा छिलके समेत पकाना चाहिए। क्योंकि, आलू का सबसे अधिक पौष्टिक भाग छिलके के एकदम नीचे होता है, जो प्रोटीन और खनिज से भरपूर होता है। आलू को उबालकर या भूनकर खाया जाता है, इसलिए इसके पौष्टिक तत्व आसानी से पच जाते हैं।
आलू के गुण
- अम्लपित्त होने पर आलू का प्रयोग करन चाहिए। अम्लपित्त से बचाव के लिए आलू को सेंककर, उसका छिलका निकालकर, नमक और मिर्च के साथ खाने से फायदा होता है।
- चोट लगने पर आलू का प्रयोग करना चाहिए। कभी-कभी चोट लगने के बाद त्वचा नीली पड़ जाती है। नीले पडे जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाने से फायदा होता है।
- आलू के रस को शहद में मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों का विकास अच्छे से होता है।
- झुर्रियों से बचाव के लिए आलू बहुत फायदेमंद होता है। झुर्रियों पर कच्चे आलू को पीसकर लगाने से झुर्रियां समाप्त होती हैं।
- चेहरे की रंगत के लिए आलू बहूत फायदेमंद होता है। आलू को पीसकर त्वचा पर लगाने से रंग गोरा हो जाता है।
- त्वचा की एलर्जी या फिर त्वचा रोग होने पर आलू का प्रयोग करना चाहिए। कच्चे आलू का रस लगाने से त्वचा रोग में फायदा होता है।
- आलू को गोला काटकर आंखों पर रखने से आंखों के आसपास की झुर्रियां समाप्त होती हैं।
- अगर अंतडियों से सडांध आ रही हो तो भुने हुए आलू का प्रयोग करना चाहिए। इससे पेट की कब्ज और अंतडियों की सडांध दूर होती है।
- गुर्दे की पथरी होने पर आलू का प्रयोग करना चाहिए। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाकर पथरी को निकाला जा सकता है।
आलू के हरे भाग को बिलकुल नहीं खाना चाहिए। क्योंकि हरे भाग में सोलेनाइन नामक विषैला पदार्थ होता है जो शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। इसके अलावा आलू के अंकुरित हिस्से का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।